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Forest Survey Report 2021-देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है जंगल
 

एएबी समाचार/ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा तैयार 'इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021' जारी की। एफएसआई को देश के वन और वृक्ष संसाधनों का आकलन करने का काम सौंपा गया था।

वन सर्वेक्षण के निष्कर्षों को साझा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर है जो
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 
24.62 प्रतिशत है। वर्ष 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

 

श्री भूपेंद्र यादव ने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वर्ष 2021 के मौजूदा मूल्यांकन से पता चलता है कि 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से पटा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का ध्यान वनों को न केवल मात्रात्मक रूप से संरक्षित करने पर है बल्कि गुणात्मक रूप से इसे समृद्ध करने पर भी है।

वन सर्वेक्षण रिपोर्ट यानि आईएसएफआर-2021 भारत के जंगलों में वन आवरण, वृक्ष आवरण, मैंग्रोव क्षेत्र, जानवरों की बढ़ती संख्या, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, जंगलों में लगने वाली आग की निगरानी व्यवस्था, ​​बाघ आरक्षित क्षेत्रों में जंगल का फैलाव, एसएआर डेटा का उपयोग करके जमीन से ऊपर बायोमास के अनुमानों और जलवायु परिवर्तन के संवेदनशील जगहों (हॉटस्पॉट) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

 

प्रमुख निष्कर्ष

  • देश का कुल वन और वृक्षों से भरा क्षेत्र 80.9 मिलियन हेक्टेयर हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है। 2019 के आकलन की तुलना में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है।
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  • वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने जंगल में देखी गई है। वन क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी), इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं।
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  • क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नगालैंड (73.90%) हैं।
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  • 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जैसे लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं, जबकि 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव,असम,ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।
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  • देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 4,992 वर्ग किमी है। 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव क्षेत्र में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि पाई गई है। मैंग्रोव क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य ओडिशा (8 वर्ग किमी), इसके बाद महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) और कर्नाटक (3 वर्ग किमी) हैं।
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  • देश के जंगल में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है और 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 39.7 मिलियन टन है।

 

कार्यप्रणाली

भारत सरकार के डिजिटल भारत के दृष्टिकोण और डिजिटल डेटा सेट के एकीकरण की आवश्यकता के अनुरूप, एफएसआई ने 2011 की जनगणना के अनुसार भौगोलिक क्षेत्रों के साथ व्यापक अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ओपन सीरीज टॉपो शीट के साथ भारतीय सर्वेक्षण द्वारा प्रदान किए गए जिला स्तर तक विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों की हर स्तर की जानकारियों का उपयोग किया है।

मिड-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए देश के वन आवरण का द्विवार्षिक मूल्यांकन जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर वनावरण और वनावरण में बदलावों की निगरानी करने के लिए 23.5 मीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन 1:50,000 की व्याख्या के साथ भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा (रिसोर्ससैट-II) से प्राप्त एलआईएसएस-III डेटा की व्याख्या पर आधारित है।

यह जानकारी जीएचजी खोजों, जानवरों की संख्या में बढ़ोत्तरी, कार्बन स्टॉक, फॉरेस्ट रेफरेंस लेवल (एफआरएल) जैसी वैश्विक स्तर की विभिन्न खोजों, रिपोर्टों और यूएनएफसीसीसी लक्ष्यों को वनों के लिए योजना एवं उसके वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए सीबीडी वैश्विक वन संसाधन आकलन (जीएफआरए) के तहत अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग के लिए तथ्य प्रदान करेगी।

पूरे देश के लिए उपग्रह डेटा अक्टूबर से दिसंबर 2019 की अवधि के लिए एनआरएससी से प्राप्त किया गया था। उपग्रह डेटा का पहले विश्लेषण किया जाता है और उसके बाद बड़ी कड़ाई से उसकी जमीनी सच्चाई का भी पता लगाया जाता है। विश्लेषित डेटा की सटीकता में सुधार के लिए अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी का भी उपयोग किया जाता है।

देश में वनों की स्थिति के वर्तमान मूल्यांकन में प्राप्त सटीकता का स्तर काफी अधिक है। वनावरण वर्गीकरण की सटीकता का आकलन 92.99% किया गया है। वन और गैर-वन वर्गों के बीच वर्गीकरण की सटीकता का मूल्यांकन 85% से अधिक के वर्गीकरण की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सटीकता के मुकाबले 95.79% किया गया है। इसमें कठिन क्यूसी और क्यूए अभ्यास भी किया गया

 

आईएसएफआर 2021 की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं

वर्तमान आईएसएफआर 2021 में, एफएसआई ने भारत के टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण के आकलन से संबंधित एक नया अध्याय शामिल किया है। इस संदर्भ में, टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर और शेर संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण में बदलाव पर यह दशकीय मूल्यांकन वर्षों से लागू किए गए संरक्षण उपायों और प्रबंधन के प्रभाव का आकलन करने में मदद करेगा।

इस दशकीय मूल्यांकन के लिए, प्रत्येक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आईएसएफआर 2011 (डेटा अवधि 2008 से 2009) और वर्तमान चक्र (आईएसएफआर 2021, डेटा अवधि 2019-2020) के बीच की अवधि के दौरान वन आवरण में परिवर्तन का विश्लेषण किया गया है।

इसमें एफएसआई की नई पहल के तहत एक नया अध्याय जोड़ा गया है जिसमें जमीन से ऊपर बायोमास' का अनुमान लगाया गया है। एफएसआई ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), इसरो, अहमदाबाद के सहयोग से सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) डेटा के एल-बैंड का उपयोग करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर जमीन से ऊपर बायोमास (एजीबी) के आकलन के लिए एक विशेष अध्ययन शुरू किया। 

असम और ओडिशा राज्यों (साथ ही एजीबी मानचित्र) के परिणाम पहले आईएसएफआर 2019 में प्रस्तुत किए गए थे। पूरे देश के लिए एजीबी अनुमानों (और एजीबी मानचित्रों) के अंतरिम परिणाम आईएसएफआर 2021 में एक नए अध्याय के रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। विस्तृत रिपोर्ट अध्ययन पूरा होने के बाद प्रकाशित की जाएगी।

एफएसआई ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी के गोवा कैंपस के सहयोग से 'भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग' पर आधारित एक अध्ययन किया है। 

यह सहयोगात्मक अध्ययन भविष्य की तीन समय अवधियों यानी वर्ष 2030, 2050 और 2085 के लिए तापमान और वर्षा डेटा पर कंप्यूटर मॉडल-आधारित अनुमान का उपयोग करते हुएभारत में वनावरण पर जलवायु हॉटस्पॉट का मानचित्रण करने के उद्देश्य से सहयोगात्मक अध्ययन किया गया था।

रिपोर्ट में राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र के अनुसार विभिन्न मापदंडों पर भी जानकारी शामिल है। रिपोर्ट में पहाड़ी, आदिवासी जिलों और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वनावरण पर विशेष विषयगत जानकारी भी अलग से दी गई है।

ऐसी उम्मीद है कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी देश में वन और वृक्ष संसाधनों पर नीति, योजना और दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगी।

World-Ozone-Day-भारत-ने-ओजोन-परत-के-लिए-घातक-पदार्थों -खपत-को-किया-समाप्त

एएबी समाचार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत ने कई प्रमुख ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों (ओडीएस) के उत्पादन और खपत को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के वित्तीय तंत्र से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्राप्त कर अब तक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सभी दायित्वों को पूरा किया है। 

नई दिल्ली में गुरूवार को 27वें वैश्विक ओजोन दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री चौबे ने कहा, ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में भारत की सफलता का एक कारण योजना और कार्यान्वयन दोनों स्तरों पर प्रमुख हितधारकों की भागीदारी है।

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उन्होंने कहा, उद्योग, अनुसंधान संस्थान, संबंधित मंत्रालय, उपभोक्ता आदि भारत में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों को समाप्त करने के चरणबद्ध कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

 

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन का उल्लेख करते हुए, जिसे हाल ही में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, मंत्री महोदय ने कहा, इसे लागू करने के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की रणनीति विकसित करते समय औद्योगिक अप्रचलन को कम करने और प्रतिकूल आर्थिक प्रभावों से संबंधित मुद्दों पर उचित रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है, जो आज ही के दिन 1987 में लागू हुई थी। 

यह दिवस हर वर्ष ओजोन परत को हो रहे नुकसान के बारे में और इसे संरक्षित करने के लिए किए गए उपायों/ किये जा रहे उपायों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने लिए मनाया जाता है। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के अंतर्गत ओजोन प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 1995 से विश्व ओजोन दिवस मना रहा है।

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विश्व ओजोन दिवस 2021 का विषय "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल - हमें, हमारे भोजन और वैक्सीन को ठंडा रखना" है।

राज्य मंत्री श्री चौबे ने भवनों में विषयगत एरिया स्पेस कूलिंग के लिए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) की सिफारिशों को लागू करने के लिए कार्य योजना जारी की। आईसीएपी में दी गई सिफारिशों पर ध्यान देने के बाद तथा संबंधित विभागों और मंत्रालयों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद कार्य योजना विकसित की गई है।

एमओईएफ और सीसी द्वारा विकसित की जाने वाली दुनिया में अपनी तरह की पहली इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी), सभी क्षेत्रों में शीतलन आवश्यकता पर ध्यान देती है और उन कार्यों को सूचीबद्ध करती है जो पर्यावरण और सामाजिक, दोनों को सुरक्षित करने के लिए कार्यों में तालमेल के माध्यम से आर्थिक लाभ के लिए शीतलन की मांग को कम करने में मदद कर सकते हैं। आईसीएपी का उद्देश्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के उत्सर्जन को कम करना है।

राज्य मंत्री ने गैर-ओजोन क्षयकारी पदार्थों और निम्न-ग्लोबल वार्मिंग संभावित रेफ्रिजरेंट को बढ़ावा देने के लिए भारत में कोल्ड चेन सेक्टर पर एक अध्ययन रिपोर्ट और गैर-ओजोन क्षयकारी पदार्थों पर आधारित रेफ्रिजरेंट का उपयोग करके रेफ्रिजरेशन और एयर-कंडीशनिंग उपकरण के लिए सार्वजनिक खरीद नीतियों पर एक अन्य अध्ययन रिपोर्ट भी जारी की।

 पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने इस अवसर पर भारत के विभिन्न स्कूलों में आयोजित पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताओं की विजेता प्रविष्टियां भी जारी कीं। प्रतियोगिता में 3900 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री आरपी गुप्ता, भारत में यूएनईपी के प्रमुख, श्री अतुल बगाई, सुश्री शोको नाडा, भारत में यूएनडीपी की स्थाई प्रतिनिधि और विभिन्न उद्योगों, औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि, विभिन्न हितधारकों और 3000 से अधिक स्कूली बच्चों ने वर्चुअल माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।

 

पृष्ठभूमि

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन में भारत की उपलब्धियां

भारत, जून 1992 से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्ष के रूप में, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और इसके ओजोन क्षयकारी पदार्थों को समाप्त करने के प्रोटोकॉल की चरणबद्ध अनुसूची के अनुरूप परियोजनाओं और गतिविधियों को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर रहा है। 

भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुरूप नियंत्रित उपयोग के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, हैलोन्स, मिथाइल ब्रोमाइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया है। 

 

वर्तमान में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के त्वरित कार्यक्रम के अनुसार हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है। हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की प्रबंध योजना (एचपीएमपी) स्टेज- I को 2012 से 2016 तक सफलतापूर्वक लागू किया गया है और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की प्रबंध योजना (एचपीएमपी) चरण- II वर्तमान में 2017 से लागू किया जा रहा है और 2023 तक पूरा हो जाएगा।

दीर्घकालिक योजना के एक भाग के रूप में, एचसीएफसी के उपयोग को समाप्त करने के मौजूदा कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए एक रास्ता चुना है, विकासशील देशों में से एक भारत, कठोर फोम के निर्माण में उपयोग होने वाले पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाने वाले सबसे शक्तिशाली ओजोन क्षयकारी रसायनों में से एक, एचसीएफसी 141बी से पूर्ण रूप से समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम है।

हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की प्रबंधन योजना (एचपीएमपी) चरण- III की तैयारी शीघ्र ही शुरू की जाएगी, जो एचसीएफसी-22 के उपयोग को समाप्त करने के बारे में विचार करेगी, जो रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग निर्माण और सेवा क्षेत्रों में उपयोग किया जाने वाला रेफ्रिजरेंट है।

कौशल और प्रशिक्षण के प्रभाव को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के स्किल इंडिया मिशन के साथ हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की प्रबंधन योजना (एचपीएमपी) के तहत रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग सेवा क्षेत्र के प्रशिक्षण के तालमेल पर भी पर्याप्त ध्यान दिया गया है। सेवा तकनीशियनों के कौशल और प्रमाणन से न केवल महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ होंगे, बल्कि उनकी आजीविका पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

2016 के दौरान पार्टियों द्वारा अंतिम रूप दिए गए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) के गैर-ओजोन क्षयकारी विकल्प के रूप में पेश किए गए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे कम करेगा, जिसमें 12 से 14000 तक उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता है। ।

भारत सरकार ने हाल ही में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन की पुष्टि करने का निर्णय लिया है, जो एक बार फिर वैश्विक समुदाय के लिए जलवायु और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। 

मंत्रालय सभी उद्योग हितधारकों के साथ आवश्यक परामर्श के बाद हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति विकसित करने की दिशा में काम करेगा। 

कम ग्लोबल वार्मिंग क्षमता और ऊर्जा-दक्ष प्रौद्योगिकियों को अपनाने के माध्यम से किगाली संशोधन के तहत हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने की दिशा में कार्यान्वयन से ऊर्जा दक्षता लाभ और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी - एक "जलवायु सह-लाभ" प्राप्त होगा। 

इसके अलावा, पर्यावरण लाभ के अलावा, आर्थिक और सामाजिक सह-लाभों को अधिकतम करने के उद्देश्य से भारत सरकार के चल रहे सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के साथ तालमेल को बढ़ावा दिया जाएगा।

किगाली संशोधन के तहत प्रौद्योगिकी पसंद के लिए ऊर्जा दक्षता एक प्रमुख अंग है। भारत हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को समाप्त करने के लिए नए रेफ्रिजरेंट और प्रौद्योगिकी के उपयोग में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल बैठकों में सक्रिय रूप से आगे बढ़ रहा है।

रेफ्रिजरेंट की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता को कम करते हुए उपकरणों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सुविधाजनक ढांचे के निर्माण, संस्थागत क्षमता को मजबूत करने और प्रभावी कार्यान्वयन मॉडल डिजाइन करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) की पहल, भारत कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) विकसित करने के लिए, जो दुनिया में अपनी तरह की पहली योजना है, सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करने की क्षमता रखने वाले कार्यों में तालमेल की तलाश करना और कम रेफ्रिजरेंट उपयोग, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित पर्यावरणीय लाभ है। 

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) सामाजिक-आर्थिक सह-लाभों को अधिकतम करने के लिए चल रहे सरकारी कार्यक्रमों और सभी के लिए आवास, स्मार्ट शहर मिशन, किसानों की आय दोगुनी करने और कौशल भारत मिशन जैसी योजनाओं के साथ तालमेल की सिफारिश करता है। 

मंत्रालय ने संबंधित मंत्रालयों और सरकारी संगठनों, उद्योग और विचारकों और शिक्षाविदों के साथ इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) में दी गई सिफारिशों को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं। सिफारिशों के कार्यान्वयन में भवनों में अंतरिक्ष शीतलन के लिए प्राथमिकता पर ध्यान दिया गया है और मंत्रालय सिफारिशों के कार्यान्वयन से संबंधित कार्य योजना लेकर आया है।

विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि ओजोन न केवल पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करनी चाहिए।