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Pradhanmantri Kusum Yojna-

एएबी समाचार।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री  कुसुम योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाली वेबसाइट के चंगुल में न फंसने के लिए देश के किसानों को सचेत किया है । कुसुम योजना के  तहत कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया   जाता है । केंद्र सरकार को ऐसी सूचना मिली है कि  योजना के शुभारंभ के बाद, कुछ वेबसाइटों ने पीएम-कुसुम योजना के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का दावा किया है। ऐसी वेबसाइटें आम जनता को धोखा दे रही हैं और फर्जी पंजीकरण पोर्टल के माध्यम से उनसे रुपये तथा जानकारी एकत्रित कर रही है ।
 

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Pradhanmantri Kusum Yojna : योजना का लाभ लेने पंजीकरण का प्रावधान नहीं

केंद्र सरकार के मुताबिक (www.pmkusumyojana.co.in and www.punjabsolarpumps.com) ने अवैध रूप से पीएम-कुसुम योजना के लिए पंजीकरण पोर्टल का दावा किया है। अतः फिर से सभी संभावित लाभार्थियों और आम जनता को सलाह दी जाती है कि इन वेबसाइटों पर रुपया या जानकारी जमा करने से बचें। इसके अलावा, समाचार पत्रों को भी डिजिटल या प्रिंट प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित करने से पहले सरकारी योजनाओं के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का दावा करने वाली वेबसाइटों की प्रामाणिकता की जांच करने की सलाह दी जाती है ।
 

Pradhanmantri Kusum Yojna :  फर्जी  हैं पंजीकरण को जरूरी बताने वाली वेबसाइट

MNRE अपनी किसी भी वेबसाइट के माध्यम से योजना के तहत लाभार्थियों को पंजीकृत नहीं करता है और इसलिए योजना के लिए MNRE की पंजीकरण वेबसाइट होने का दावा करने वाली कोई भी वेबसाइट भ्रामक और धोखाधड़ी है। किसी भी संदिग्ध धोखाधड़ी वाली वेबसाइट, यदि किसी के द्वारा देखी गई हो, तो उसे MNRE को तुरंत सूचित करने का कष्ट करें 

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Pradhanmantri Kusum Yojna : योजना के तहत पम्पों के सौरीकरण के लिए मिलता है अनुदान

गौरतलब है कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (प्रधानमंत्री-कुसुम) योजना लागू किया गया है जिसके तहत कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इस योजना को राज्य सरकार के विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें किसानों को केवल बाकी का 40 प्रतिशत ही विभाग को जमा करवाना होता है। इन विभागों का विवरण MNRE की असली वेबसाइट पर उपलब्ध है।

योजना में भागीदारी के लिए पात्रता और कार्यान्वयन प्रक्रिया से संबंधित जानकारी MNRE की वेबसाइट  पर उपलब्ध है। इच्छुक लोग MNRE की वेबसाइट पर जा सकते हैं या टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर 1800-180-3333 पर कॉल कर सकते हैं।

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एएबी समाचार।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा  के मुताबिक आम आदमी के लिए सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने की मकसद से मार्च 2025 तक प्रधानमन्त्री जनऔषधि केन्द्रों की संख्या को बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा गया है । देश में इस समय 15 सितंबर 2020 तक ऐसी दुकानों की संख्या 6606 हो चुकी है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को 490 करोड़ रुपए के बजट के साथ  2020-21 से 2024- 25 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है।
 
 

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उन्होंने कहा कि जनऔषधि केन्द्रों का नेटवर्क बढ़ने के साथ ही देश के सभी जिलों में जनऔषधि केंद्र हो जाएंगे जिससे देश के हर कोने में लोगों को किफायती ​कीमतों पर आसानी से दवाएं मिल सकेंगी। मार्च से जून, 2020 तक जनऔषधि केन्द्रों को कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा।  

परिवहन के लिए वाहनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण केन्द्रीय और क्षेत्रीय गोदामों से जनऔषधि केंद्रों तक दवा  तथा दवाओं के लिए जरुरी कच्चे माल की समय पर और आवश्यकतानुरुप आपूर्ति नहीं हो पाई । इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रों पर दवाओं का सही समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी आईटी सक्षम लाजिस्टिक आपूर्ति-श्रृंखला प्रणाली विकसित करने पर काम हो रहा है।
 

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वर्तमान में, गुरुग्राम, चेन्नई, बेंगलुरु और गुवाहाटी में प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के चार गोदाम कार्य कर रहे है। इसके अलावा, पश्चिमी और मध्य भारत में दो और गोदाम खोलने की योजना है। आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में वितरकों की नियुक्ति भी की जा रही है।
 

कोविड लॉकडाउन के कठिन समय के बावजूद इन केन्द्रों ने बिक्री का शानदार प्रदर्शन करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कुल 146.59 करोड़ रुपए का कारोबार किया जबकि 2019 20 की पहली तिमाही मे यह आंकड़ा 75.48 करोड़ रुपए रहा था।

जुलाई से 15 सितंबर तक इन केन्द्रों से कुल 109.43 करोड़ रुपए की बिक्री हुई जिसे मिलाकर 15 सितंबर तक कुल 256.02 करोड़ रुपए की बिक्री हो चुकी है। जनऔषधि केन्द्रों  ने गुणवत्ता वाली  दवाओं की कीमतों में भारी कमी करते हुए  देश की एक बड़ी आबादी विशेषकर गरीबों तक इन दवाओं की पहुंच आसान बना दी है ।

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एएबी समाचार। आने वाले 1000 दिनों में देश के सभी छः लाख  गांव को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जाएगा । 2014 से पहले देश में केवल 5 दर्जन पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical Fiber Cable) से जुड़ी थीं। ये विचार  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में व्यक्त किये।
 

Optical Fiber Internet : ग्रामीण भारत के संतुलित विकास के लिए

उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया में ग्रामीण भारत और गांवों की भागीदारी भारत के संतुलित विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । इस दिशा में पिछले पांच वर्षों में देश में लगभग 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा गया है।   गांवों को सक्षम करने के लिए तेजी से ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का विस्तार किया जायेगा और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क अगले 1,000 दिनों के भीतर सभी 6 लाख गांवों तक पहुंच जाएगा।
 

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Digital India : गाँव का ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ना गेम चेंजर

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस महत्वपूर्ण घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा- ”आज आपने दूरसंचार विभाग को भारत के सभी गांवों को अगले 1000 दिनों में ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है । यह डिजिटल इंडिया के लिए गेम चेंजर है। आपकी प्रेरणा से हम इसे पूरा करेंगे।”

 Optical Fiber Cable : जुडेगें १३ सौ द्वीप तेज रफ़्तार इन्टरनेट से        

74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अगले 1000 दिनों में लक्षद्वीप को पानी के नीचे से ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के  पास लगभग 1,300 द्वीप हैं । राष्ट्र के विकास में उनकी भौगोलिक स्थिति और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए,इनमें से कुछ द्वीपों में नई परियोजनाएं शुरू करने पर काम चल रहा है। हमने कुछ द्वीपों को तेजी से विकास के लिए चुना है।
 उन्होंने बताया कि हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप को बेहतर इंटरनेट सेवा के लिए समुद्र तल केबल के साथ जोड़ा गया है और अब लक्षद्वीप को केबल से जोड़ेंगे।
 

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उन्होंने ये बातें आज दिल्ली में प्रतिष्ठित लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान कही। इस हफ्ते की शुरुआत में पीएम मोदी ने दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में मिल रही इंटरनेट सेवाओं की तर्ज पर केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) अंडमान और निकोबार द्वीप के लिए हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए चेन्नई और अंडमान एवं निकोबार के बीच अब तक के पहले समुद्र तल ऑप्टिक फाइबर लिंक का उद्घाटन किया।
      

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लक्षद्वीप प्रायद्वीप में उच्च गति की इंटरनेट सेवाओं के सिलसिले में की गयीं घोषणाओं  पर टिप्पणी करते हुए रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री ने इन द्वीपों को पानी के नीचे से (समुद्र तल) ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 1000 दिनों का लक्ष्य निर्धारित किया है । अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की तरह ही दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय लक्षद्वीप को भी केबल से जोड़ने के काम को तेजी से पूरा करेगा।
  

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गांवों को ओएफसी कनेक्टिविटी और लक्षद्वीप प्रायद्वीप को समुद्र तल ओएफसी से जोड़ने से ग्रामीण इलाकों / गांवों और लक्षद्वीप द्वीपों में रहने वाले लोगों को सस्ती और बेहतर कनेक्टिविटी मिलने में मदद मिलेगी। इससे डिजिटल इंडिया के सभी लाभों विशेष रूप से ऑनलाइन शिक्षा, दुरस्थ-चिकित्सा, बैंकिंग प्रणाली, ऑनलाइन व्यापार में सुधार और पर्यटन तथा कौशल विकास को बढ़ावा देने आदि में भी मदद मिलेगी।

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PM-Modi-Talks-to-Google-CEO-Sunder-Pichaai-किसानो-विद्यार्थियों-को-आभासी-लैब-के-फायदे-दिलाने-पर-की-र्चा
एएबी समाचार।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई  (Sunder Pichaai,CEO)  चर्चा की । इस मौके पर उन्होंने प्रौद्योगिकी से किसानों और कृषि क्षेत्र में कृत्रिम  बुद्धिमत्ता ( Artificial Intelligence, AI ) के संभावित  फायदे दिलाने  के बारे में चर्चा की।  साथ ही प्रधानमंत्री ने आभासी प्रयोगशालाओं ( Virtual Lab) के आइडिया का उपयोग विद्यार्थि‍यों के साथ-साथ किसानों द्वारा किये जाने की सम्भावनाओं पर भी विचार किया  ।


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इस सिलसिले में सुंदर पिचाई ने भी प्रधानमंत्री को देश में गूगल के नए उत्पादों और विभिन्‍न पहलों से भी अवगत कराया । उन्होंने बेंगलुरू में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रयोगशाला (Arificial Intelligence Lab) का शुभारंभ किए जाने का उल्लेख किया और इसके साथ ही गूगल के बाढ़ पूर्वानुमान संबंधी प्रयासों के  लाभों पर भी रौशनी डाली ।

गूगल सीईओ पिचाई ने प्रधानमंत्री को कोविड-19 के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने में मदद करने के साथ-साथ इस संबंध में विश्वसनीय जानकारियां मुहैया करने के लिए गूगल द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने प्रधानमंत्री की कोविड-19 से निपटने के लिए  लॉकडाउन करने के फैसले को ठोस पहल व मजबूत कदम बताया । उन्होंने लॉक डाउन को महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई की अत्‍यंत सुदृढ़ नींव भी बताया   ।

वहीँ दूसरी और प्रधानमंत्री ने गूगल की प्रशंसा करते हुए कहा कि भ्रामक सूचनाओं की गंभीर समस्‍या से निपटने और महामारी से जुड़ी आवश्यक सावधानियों के बारे में लोगों को सटीक जानकारियां देने में गूगल द्वारा निभायी गयी अत्‍यंत सक्रिय भूमिका प्रशंसनीय है । उन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का और अधिक लाभ उठाने के बारे में भी चर्चा की।

इस दौरान प्रधानमंत्री को एक बड़ा निवेश कोष लॉन्‍च करने के साथ-साथ भारत में रणनीतिक साझेदारियां विकसित करने से संबंधित गूगल की योजना के बारे में जानकारी दी गई । प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भी दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

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प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में सुधार सुनिश्चित करने और नए रोजगारों के सृजन के अभियान के बारे में सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए ठोस कदमों के बारे में भी चर्चा की। इसके साथ ही उन्‍होंने फिर से कौशल बढ़ाने या कामगारों को नए कौशल युक्त करने को भी अहम् बताया ।


डेटा सुरक्षा और निजता से जुड़ी चिंताओं के मुद्दे पर पर विचार-विमर्श करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों का भरोसा निरंतर बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों को विशेष प्रयास करने की जरूरत  है। उन्होंने साइबर अपराधों के साथ-साथ साइबर हमलों के रूप में खतरों के बारे में भी चर्चा   की ।


इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए कारगर तकनीकी समाधान  पेश करने, मातृ भाषा में प्रौद्योगिकी तक पहुंच बढ़ाने, खेल के क्षेत्र में दर्शकों को स्टेडियम जैसा नजारे का अहसास कराने के लिए एआर/वीआर का उपयोग करने और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में प्रगति जैसे विषयों पर भी व्‍यापक चर्चाएं हुईं।

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