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Indian Post Bankikng-डाकघरों के खाते आएंगे  मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में

एए बी समाचार / लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड पर बजट-उपरान्त वेबिनार का कल आयोजन किया गया। बजट में घोषणा की गई थी कि शत-प्रतिशत डाकघरों और डाकघरों के बीच संचालित होने वाले खातों को मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया जायेगा। ग्रामीण निर्धनों, खासतौर से महिलाओं के जीवन पर इस कदम से क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर भी चर्चा की गई।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वेबिनार के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया। “Assuring All Rural Poor Specially Women Access To Livlihood Options And Access To Financial Services (समस्त ग्रामीण निर्धनों, विशेषकर महिलाओं के लिये आजीविका विकल्पों और वित्तीय सेवाओं को सुगम बनाने की सुनिश्चितता) के तहत Any Time Anywhere Banking Services And Inter-Operable Services Through India Post (इंडिया पोस्ट के माध्यम से कभी भी, कहीं भी बैंकिंग सेवाओं और अंतर-परिचालन योग्य सेवायें) विषयक सत्र की अध्यक्षता ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने की। 

इसमें नीति आयोग और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञों तथा देश के विभिन्न भागों के डाकघरों की योजनाओं से जुड़े तमाम लोगों तथा हितधारकों ने हिस्सा लिया। शत-प्रतिशत मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के साथ-साथ डाकघरों के खातों के बीच आपस में चलने वाली सेवाओं पर चर्चा की गई। 

कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में वित्तीय और बैंकिंग सेवायें प्रदान करने के लिये डाक नेटवर्क के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की। नीति आयोग के विशिष्ट विशेषज्ञ श्री अजित पई ने इस बात पर जोर दिया कि डाकघर ऋण, वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेश की आमूल उपलब्धि के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

वेबिनार में हुई चर्चा से उत्पन्न नतीजों को समय पर लागू करने के लिये विभाग एक विस्तृत रोडमैप तैयार करेगा।

India Post Payment Bank-महज तीन साल में  ग्राहक आधार  पांच करोड़ के पार

एएबी समाचार/
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में प्रमुख उपलब्धि की घोषणा की है। बैंक ने तीन वर्ष के संचालन में पांच करोड़ ग्राहक आधार के स्‍तर को पार कर लिया है और वह देश में तेजी से बढ़ते हुए डिजिटल भुगतान बैंकों में शामिल हो गया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) को इसके शुभारंभ के समय देश में वित्तीय समावेशन की सबसे बड़ी पहल कहा था। यह एक ‘डिजिटल-फर्स्ट बैंक’ है, जिसे भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के तहत भारतीय डाक के व्यापक भौतिक वितरण नेटवर्क की पटरियों पर स्‍थापित किया गया है। इसने अपनी स्थापना से ही

आईपीपीबी के मुताबिक उसने लगभग 1.47 लाख डोरस्टेप बैंकिंग सेवा प्रदाताओं की मदद से 1.36 लाख डाकघरों में (इनमें से 1.20 लाख ग्रामीण डाकघरों में) डिजिटल और पेपरलेस मोड में ये पांच करोड़ खाते खोले हैं। 

इससे आईपीपीबी ने 2,80,000 डाकघर कर्मचारियों की ताकत का लाभ उठाते हुए वित्तीय रूप से जागरूक और सशक्त ग्राहक आधार बनाकर दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम अर्जित किया है। 

आईपीपीबी ने यह भी कहा कि उसने एनपीसीआई, आरबीआई और यूआईडीएआई की इंटरऑपरेबल पेमेंट्स एंड सेटलमेंट सिस्टम्स के माध्यम से जमीनी स्‍तर पर डि‍जिटल बैंकिंग को अपनाया है और यह 13 से अधिक भाषाओं में डिजिटल बैंकिंग सेवाएं उपलब्‍ध करा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि कुल खाताधारकों में से लगभग 48 प्रतिशत महिलाएं खाताधारक हैं; जबकि 52 प्रतिशत पुरुष हैं जो यह दर्शाता है कि यह बैंक महिला ग्राहकों को बैंकिंग नेटवर्क के तहत लाने पर ध्‍यान केन्द्रित कर रहा है। 

लगभग 98 प्रतिशत महिलाओं के खाते उनके घर जाकर खोले गए और 68 प्रतिशत से अधिक महिलाएं डीबीटी का लाभ उठा रही हैं। एक अन्‍य उपलब्धि यह है कि आईपीपीबी ने युवाओं को डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आकर्षित किया है। 41 प्रतिशत से अधिक खाताधारक 18 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के हैं।

इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर डाक विभाग के सचिव, श्री विनीत पांडे ने कहा कि भारतीय डाक में, हम शहरी और ग्रामीण भारत को शामिल करते हुए एक सबसे बड़े वित्तीय समावेशन नेटवर्क बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

लागत प्रभावी, सरल, आसान और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्‍टम उपलब्‍ध कराने वाला और तीन वर्ष की छोटी-सी अवधि में ही पांच करोड़ ग्राहकों तक पहुंच स्‍थापि‍त करने वाला यह मॉडल इसकी सफलता का बयान करता है। हमें खुशी है कि हमने ग्रामीण महिलाओं को उनके घर पर ही बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाया है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री जे. वेंकटरामु ने कहा कि यह बैंक के लिए गर्व का पल है, क्योंकि हम कोविड-19 महामारी के दौरान भी बाधारहित बैंकिंग और जी2सी सेवाएं उपलब्‍ध कराते हुए इस उपभोक्‍ता आधार का निर्माण करते हुए मजबूती से आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

बैंक लोगों को उनके घर पर ही पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बैंकिंग प्‍लेटफॉर्म पर सेवा प्रदान करने के लिए अपने उपभोक्‍ता अधिग्रहण को बढ़ाने में सक्षम रहा है। उत्पादों और सेवाओं के सहयोग और सह-सृजन के माध्यम से यह बैंक ग्रामीण, कम-बैंकिंग वाले और गैर-बैंकिंग नागरिकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस दृष्टिकोण के साथ, आईपीपीबी अपने मूल विभाग, डाक विभाग की ताकत का लाभ उठाने में सक्षम रहा है और इसने पूरे देश में वित्तीय समावेशन परिदृश्य को लगातार बदला है और नया आकार प्रदान कर रहा है। 

निकट भविष्य में, हमारा प्रयास जेएएम, सहमति जैसे इंडिया स्टैक का लाभ उठाकर घर द्वार पर क्रेडिट सहित विभिन्न नागरिक-केन्द्रित वित्तीय सेवाएं प्रस्‍तुत करने वाला एकीकृत सेवा मंच बनाने का है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के बारे में कुछ जानकारी:

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) की स्थापना डाक विभाग, संचार मंत्रालय के तहत की गई है। इसकी 100 प्रतिशत इक्विटी भारत सरकार के स्‍वामित्‍व में है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 1 सितम्‍बर, 2018 को आईपीपीबी का शुभारंभ किया था। देश में आम आदमी को सबसे सुलभ, किफायती और विश्‍वसनीय बैंक बनाने के दृष्टिकोण से इस बैंक की स्‍थापना की गई थी। 

आईपीपीबी का मूल उद्देश्य गैर-बैंकिंग और कम-बैंकिंग वाले लोगों के लिए बाधाओं को दूर करना और पोस्‍टल नेटवर्क का लाभ अंतिम छोर तक पहुंचाना है। आईपीपीबी की पहुंच और इसके परिचालन मॉडल को इंडिया स्टैक- ग्राहकों के घर पर पेपरलेस, कैशलेस और उपस्थिति रहित बैंकिंग को सरल और सुरक्षित तरीके से सक्षम बनाने के दृष्टिकोण पर स्‍थापित किया गया है। 

इसके लिए एक सीबीएस-एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक उपकरण का उपयोग किया जाता है। मितव्‍ययी नवाचारों का लाभ उठाते हुए और लोगों के लिए बैंकिंग को सरल बनाने पर ध्‍यान देते हुए आईपीपीबी 13 भाषाओं में उपलब्ध सहज ज्ञान युक्त इंटरफेस के माध्यम से सरल और सुविधाजनक बैंकिंग समाधान प्रदान करता है। 

आईपीपीबी कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और डिजिटल इंडिया के विजन में योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत तब ही समृद्ध होगा जब इसके प्रत्येक नागरिक को वित्तीय रूप से सुरक्षित और सशक्त बनने का समान अवसर उपलब्‍ध होगा। हमारा आदर्श वाक्य ‘प्रत्येक ग्राहक महत्वपूर्ण है; प्रत्येक लेन-देन महत्वपूर्ण है और प्रत्येक जमाराशि मूल्यवान है’ - सत्‍य है।

Family-Pension-बैंकिंग-एसोसिएशन-की-परिवार-पेंशन-अंतिम-वेतन-का-तीस-फीसदी-हुई 

एएबी समाचार। बैंक कर्मचारियों के परिवारों को राहत देने के लिए, सरकार ने इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन के परिवार पेंशन को अंतिम आहरित वेतन के 30% तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम से बैंक कर्मचारियों की प्रति परिवार पारिवारिक पेंशन 30,000 रुपये से 35,000 रुपये तक हो जाएगी। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने आज मुंबई में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संबोधित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।


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सचिव ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के वेतन संशोधन पर 11वें द्विपक्षीय समझौते में, जिस पर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने 11 नवंबर, 2020 को यूनियनों के साथ हस्ताक्षर किए थे, राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत पारिवारिक पेंशन वृद्धि और नियोक्ता के योगदान की बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव था। 

इसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि "पहले इस योजना में पेंशनभोगी के अंतिम आहृत वेतन का 15, 20 और 30 प्रतिशत का स्लैब था। इसकी अधिकतम सीमा 9,284/- रुपये थी। वह बहुत ही मामूली राशि थी जिसके बारे में वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण चिंतित थीं और चाहती थीं कि इसे संशोधित किया जाए ताकि बैंक कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को जीवन यापन के लिए एक बेहतर राशि मिल सके।


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सरकार ने नई पेंशन योजना के तहत नियोक्ताओं के योगदान को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 14% करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के हजारों परिवार लाभान्वित होंगे, जबकि नियोक्ताओं के योगदान में वृद्धि से नई पेंशन योजना के तहत बैंक कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी।

वित्त मंत्री ने अपनी दो दिवसीय मुंबई यात्रा के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज की समीक्षा की और स्मार्ट बैंकिंग के लिए ईज़ 4.0 सुधार एजेंडा लॉन्च किया।

 

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 Ban-lifted-on-grant-of-Government-Business-to-Private-Banks-निजी-बैंकों-में-भी-जमा-हो-सकेंगे-चालान-राजस्व-कर

एएबी समाचार । सरकार से संबंधित बैंकिंग लेनदेन जैसे कि करों और अन्य राजस्व भुगतान सेवाएं, पेंशन भुगतान, छोटी बचत योजनाओं आदि सेवाओं को देने के लिए निजी क्षेत्र के बैंकों (अभी तक केवल कुछ निजी बैंकों को अनुमति मिली थी ) पर लगी रोक हटा ली गई है। इस फैसले से ग्राहकों के लिए सरकार की सेवाएं लेना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।

 

  बैंकिंग क्षेत्र में निजी बैंक हमेशा से नवीनतम तकनीक और नवाचर को लागू करने में आगे रहे हैं।इस फैसले के बाद अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सरकार के सामाजिक क्षेत्र की पहल को आगे बढ़ाने में निजी बैंक बराबर के भागीदार होंगे।

रोक हटाए जाने के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निजी क्षेत्र के बैंकों (सार्वजनिक बैंकों के साथ ) को सरकार और सरकार की एजेंसी के बिजनेस देने में कोई रोक नहीं रहेगी। इस फैसले की जानकारी आरबीआई को दे दी गई है

 

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 Relif-On-Financial-Front
 एएबी समाचार ।  कोरोना संकट से मुक़ाबला कर रही केंद्र सरकार ने अब अलग अलग आर्थिक मोर्चों पर भी काम शुरू करती नजर आ रही है । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ग़रीबों को राहत देने के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी कई कदम उठाए हैं.  लोग अपने अपने घरों में हैं. उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है.

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इसी दिशा में सरकार ने सबसे अहम् फैसला बैंक के डेबिट कार्डों पर लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को अस्थाई तौर पर ख़त्म कर दिया है । अधिकृत जानकारी के मुताबिक  30 जून 2020 तक किसी भी बैंक के डेबिट कार्ड से किसी भी अन्य बैंक के एटीएम से पैसे निकालने पर कोई चार्ज नहीं देना होगा. सरकार ने लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है. सरकार की मंशा है कि कैश निकालने के लिए लोगों को अपने घरों से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े और पास के ही उपलब्ध एटीएम से पैसे निकाल सकें.


आम दिनों के लिए RBI की ओर से जारी नियमों के मुताबिक , बैंकों को महीने में कम से कम पांच मुफ्त लेनदेन  की छूट देनी है. फिर एटीएम कहीं भी हो. नकद आहरण रहित लेनदेन यानी जिसमें निकासी नहीं होगी, उसमें बैंकों को सुविधा मुफ्त देनी है.


महानगरों में किसी और बैंक के एटीएम से ट्रांजेक्‍शन : अगर एटीएम बेंगलुरु, चेन्‍नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्‍ली जैसे महानगरों में है तो उस मामले में बैंकों को कम से कम तीन मुफ्त लेनदेन  की छूट देनी है.


 छह महानगरों  को छोड़कर किसी और शहरों में  बैंकों को बचत खाताधारकों को महीने में अन्‍य बैंक से कम से कम पांच मुफ्त लेनदेन की इजाजत देनी है.

(2)न्यूनतम राशि  रखने की जरूरत नहीं- बचत बैंक खाते के लिए न्यूनतम राशि शुल्क को खत्म कर दिया गया है. यानी 30 जून 2020 तक बैंक खाते में न्यूनतम राशि जमा रखने  की जरुरत नहीं है.

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने करोड़ों ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है. SBI ने सभी तरह के बचत खातोंपर औसत राशि रखने  की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.

इसका मतलब ग्राहकों को अब अपने खातों में न्यूनतम राशि जमा  रखने का झंझट खत्म हो गया है. एसबीआई के इस फैसले से 44.51 करोड़ ग्राहकों को फायदा होगा. इसके अलावा, एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में SBI ने बचत बैंक खातों पर अपनी ब्याज दर को तर्कसंगत बनाते हुए सपाट 3 फीसदी सालाना कर दिया.

(3) ऑनलाइन लेनदेन हुआ मुफ्त - सरकारी बैंक PNB ने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के जरिए लेनदेन  पर लगने पर IMPS शुल्क को पूरी तरह से खत्म कर दिए है. पंजाब नेशनल बैंक  ने यह जानकारी दी है. पीएनबी ने बताया कि IMPS शुल्क का को पूरी तरह से खत्म करने का यह फैसला तत्काल रुप से प्रभावी होगी.पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक अब इस फैसले के बाद प्रति दिन 50,000 रुपये के अंतरण  के लिए कोई शुल्क  नहीं देंगे. इसके पहले उन्हें IMPS शुल्क  के तौर पर 5 रुपये + GST देना होता था.

इसके पहले पिछले साल ही भारतीय स्टेट बैंक ने भी अपने ऐलान किया था कि वो YONO ऐप, मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए किए जाने वाले IMPS अंतरण  पर कोई शुल्क नहीं लेगा. एसबीआई ने इसे 1 अगस्त 2019 से लागू कर दिया था.
  

(4) गृह आवास  मासिक किश्त  पर भी मिल रही है छूट- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तीन महीने के लिए मासिक किश्त की  भुगतान में राहत देने का ऐलान के बाद अब सभी बैंक इस पर छूट दे रहे है. मासिक किश्त की  भुगतान पर राहत का फैसला 1 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच पड़ने वाली सभी किस्तों के भुगतान पर लागू है.


 विकल्प -1 जितने समय के लिए ग्राहक ने ईएमआई के भुगतान में छूट का विकल्प चुना है, उस समय का ब्याज वह एक ही बार जून में दे सकता है.

विकल्प -2 ब्याज दर बकाया  राशि में जोड़ी जा सकती है, जिससे बाकी के महीनों की ईएमआई बढ़ जाएगी.

विकल्प -3 ग्राहकों की लोन की अवधि बढ़ सकती है.

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लोन ईएमआई पर छूट लेने पर क्या होगा-अगर ग्राहक ने 8.5 फीसदी ब्याज पर 20 लाख रुपये का आवासीय ऋण  लिया है और उसने पहले ही 105 मासिक किश्त का   भुगतान कर लिया है, तो बकाया मूल राशि 15,05,408 रुपये हुई, जो उसे 135 और मासिक किश्त के  भुगतान में पूरी करनी है.

अब अगर वह तीन महीने की मासिक किश्त की  भुगतान में छूट का विकल्प चुनता है, तो उसे ब्याज के घटक  के तौर पर 32,217 रुपये देने होंगे.

अगर वह अपनी पहले वाली मासिक किश्त की  भुगतान की रकम (17,356 रुपये) को जारी रखना चाहता है, तो वह 140 महीनों में ऋण  पूरा कर सकेगा. यानी इससे उसकी लोन की अवधि पांच माह बढ़ जाती है.

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विकल्प 1- ग्राहक मासिक किश्त की  भुगतान की राशि बढ़ाए और अवधि  में इजाफा ना करे. इससे उसकी मासिक किश्त की  भुगतान 17,356 रुपये से बढ़कर 17,728 रुपये हो जाएगी. प्रति माह मासिक किश्त की  भुगतान में 372 रुपये बढ़ेंगे, जिसका वह आसानी से भुगतान कर सकेगा.

विकल्प -2 -छूट की अवधि  के समय के ब्याज का भुगतान तीन माह बाद एक साथ या एक साल से दो साल के समय तक कर दें.

विकल्प -3 नवीनतम ब्याज दर के लिए बात करें. ऐसा इसलिए क्योंकि पांच साल या उससे पहले से लिए हए लोन का ब्याज दर अधिक हो सकती है. इसलिए अपने बैंक से बात करके लोन को रेपो रेट से लिंक करें.


कार लोन लेने पर क्या होगा असर- अगर आपने कार ऋण  लिया है और 10 लाख रुपया के मूल का भुगतान 78 महीने में करना है, तो मासिक किश्त के  भुगतान में दो महीने की छूट का विकल्प चुनने पर लोन अवधि 80 महीने हो जाएगी.
  
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निजी ऋण लेने पर क्या होगा असर- अगर आपने आठ लाख रुपये का निजी ऋण लिया है, जिसका भुगतान आपको 30 महीने में करना है, तो दो महीने के लिए मासिक किश्त के  भुगतान की छूट की स्थिति में 21,872 रुपये के ब्याज की वसूली के लिए अवधि 31 महीने हो जाएगी.