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एएबी समाचार । मप्र में अब आबादी भूमि का ड्रोन पद्धति से सीमांकन किया जायेगा। इससे आबादी क्षेत्रों के भी नक्शे तैयार हो सकेंगे। पूरे प्रदेश के 55000 गांवों के आबादी सर्वे का काम होगा। प्रदेश की राजस्व मंत्री  ने बताया आबादी क्षेत्रों के नक्शे नहीं होने से सीमांकन विवाद हो जाते हैं व शासकीय भूमि पर अतिक्रमण भी हो जाता है। नई व्यवस्था से इस परिपाटी पर रोक लग सकेगी ।
 हाल ही में राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में भारत सरकार के सर्वे ऑफ इण्डिया एवं राजस्व विभाग के बीच आबादी क्षेत्र सर्वे एवं सीमांकन कन्टीन्यूसली ऑपरेटिंग रिफिरेंस स्टेशन (कोर्स) पद्धति लागू करने हेतु एमओयू साईन किये गये।
राजस्व मंत्री  के मुताबिक  वर्तमान में खड़ी फसल होने पर, बरसात के समय चाँदा पत्थर नहीं मिलने एवं कुशल चैनमेनों के अभाव के कारण सीमांकन में काफी असुविधा होती थी। साल के तीन महीने ही सीमांकन हो पाता था। इसलिए राजस्व विभाग अत्याधुनिक कोर्स पद्धति की शुरूआत करने जा रहा है। इसके लिए आज भारत सरकार के सर्वे ऑफ इण्डिया के साथ एमओयू साईन किया गया। उन्होंने बताया कि कोर्स के पायलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत छिन्दवाड़ा जिले से की जायेगी।

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