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सागर मे मप्र की प्रदेश स्तरीय महात्वाकांक्षी ई-बस्ता योजना का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में बताया गया की  शुरूआती तौर पर , प्रशासन के मुताबिक जिले की राहतगढ़ तहसील के 34 पटवारियों को लैपटाप वितरित किए गए । लेकिन राजस्व मंत्री के मुताबिक 32 पटवारियों को लैप टाप दिए गए । कहने को तो मात्र दो अंकों का अंतर है सरकार के नुमांईदें व प्रशासनिक अधिकारी अलग-अलग आंकड़े एक ही मंच से पेश कर आखिर जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं ? 
इससे लगता है दोनों के बीच मे तालमेल का अभाव है। दोंनों के अंदर ही अलग- अलग तरह की ठकरास सी भरी है एक बार जो कह दिया सो कह दिया जिसने जो आंकड़ा बोल दिया तो उनके लिए वह ही सही है। प्रशासन कह रहा है कि इस पायलट योजना के सफल हो ने पर प्रदेश भर के कुल 20 हजार पटवारियों को लैप टाप दिए जाएंगें लेकिन राजस्व मंत्री के मुताबिक प्रदेश के कुल 19 हजार पटवारियों को लैपटाप दिए जाएंगें। आखिर यह गणित है क्या? प्रशासन व मंत्री के बीच के आंकड़ों के अंतर के चलते एक हजार पटवारियों का हेरफेर नजर आ रहा है । 
अगर प्रशासन अपने आंकड़ों के मुताबिक 20 हजार लेपटाप खरीदेगा और मंत्री जी अपने आंकड़े के मुताबिक 19 हजार पटवारियों को लैपटाप बांटेगें तो बाकी के एक हजार लैपटाप का क्या होगा? जब मंत्री के मुताबिक पटवारियों की संख्या 19 हजार है तो उनकी सरकार 19 हजार लैपटाप ही खरीदेगी। ऐसे में प्रशासन अपने एक हजार अतिरिक्त पटवारियों के लिए लैपटाप का इंतजाम कहां से करेगा? 
आंकड़ों की जुबानी तो यह लगता है कि प्रशासन व सरकार के नुमाईंदे तू डाल-डाल, मैं पांत-पांत की तर्ज पर चल रहे हैं । आंकड़ों की इस बाजीगिरी से जनता का भला होगा या बंटाधार तो आने वाला वक्त ही बताएगा। तब तक तो जनता अपन सर खुजलाती रही और अटकलें लगाती रहे कि क्या सटीक आंकड़ों के बिना जनकल्याण की सटीक योजनाएं बनाईं जा सकतीं हैं ?
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